नई दिल्ली। भारत का राष्ट्रपति बनने के लिए बड़े-बड़े नेता एड़ी-चोटी का जोर लगा देते हैं। राजनीतिक पार्टियों के गुणा-भाग चलते हैं सो अलग। जिस समय डॉ. कलाम को राष्ट्रपति बनाने की चर्चा चली इसकी उन्हें भनक तक नहीं थी। कलाम उस दौरान चेन्नई विश्वविद्यालय के होस्टल के एक छोटे-से कमरे में रह रहे थे। एनडीए सरकार ने फैसला किया कि कलाम राष्ट्रपति पद के उनके उम्मीदवार होंगे। इस बात की सूचना देने के लिए उन्हें ढूंढना पड़ा था। कलाम ने राष्ट्रपति बनने के बाद राष्ट्रपति भवन की कई परंपराओं को बंद करा दिया।
अपनी पुस्तक टर्निंग प्वाइंट्स: ए जर्नी थ्रू चैलेंजेज में उन्होंने इस बात का जिक्र किया है कि वह कैसे भारत के 11वें राष्ट्रपति बनें। उन्होंने लिखा है कि अन्ना विश्वविद्यालय के सुंदर वातावरण में 10 जून 2002 की सुबह और दिनों की तरह ही थी, जहां मैंने दिसम्बर 2001 से काम करना शुरू किया था। विश्वविद्यालय के बड़े और शांत परिसर में वहां के प्रोफेसरों और शोध विद्यार्थियों के साथ काम करते हुए मेरा अच्छा समय बित रहा था।
मेरे क्लास में केवल 60 बच्चों के बैठने की ही व्यवस्था थी, लेकिन उसमें करीब 350 से ज्यादा छात्र बैठा करते थे और कोई ऐसा तरीका भी नहीं था जिससे उनको रोका जा सके। मेरा काम परास्नातक के युवा छात्रों की सोच को जानना और मैंने जो राष्ट्रीय स्तर पर काम किए उनके तजुर्बों को उनसे साझा करना था। मुझे अपने 10 लेक्चर के जरिए उनको यह समझाना था कि समाज को बदलने के लिए तकनीक का प्रयोग कैसे किया जा सकता है।
राष्ट्रीय मिशन से मेरा मतलब स्पेस लॉन्च व्हीकल, एसएलवी-3, इंटीग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम, 1998 में हुए परमाणु परीक्षण और सूचना प्रौद्योगिकी, पूर्वानुमान और आकलन परिषद द्वारा तैयार की गई एक रिपोर्ट भारत 2020 से है। एसएलवी-3 कार्यक्रम का उद्देश्य 40 किलो वजनी रोहिनी उपग्रह को पृथ्वी की कक्षा में स्थापित करना था। आईजीएमडीपी का उद्देश्य देश की सामरिक सुरक्षा को मिसाइल के जरिए और ज्यादा मजबूती देना था। अग्नि पांच मिसाइल इसकी सबसे बड़ी सफलता है। 11 और 13 मई 1998 में हुए परमाणु परीक्षण जिसके बाद भारत भी एक परमाणु शक्ति संपन्न देश बन गया।
Post a Comment